Wednesday, June 13, 2012

पालतू जुगनू Paltu Jugnu


देशधर्म क्या  होता है, ये हिन्दू  मुस्लिम क्या जाने?
जिसने देहरी पार न की, मौसम की रंगत क्या जाने?

जिनको नींद  नहीं मिलती है, भूखी  नंगी  रातों  में,
वो रोटी पेट समझने वाले, स्वप्न हकीकत क्या जाने?

उनसे आशा  क्या करना जो, माँ पर छुरी चलाते हों,
वो अर्थशास्त्री पैसे वाले, आँसू की कीमत क्या जाने?

जुगुनू जिनको  अँधियारों ने, खुद ही पाला पोसा हो,
चमक दिखा बुझ जाने वाले, उजली संगत क्या जाने?

अब हम  राखों के ढेर तले, दबती  चिंगारी  लाये हैं,
वो फूँक  लगाने  वाले, लपटों की  चाहत क्या जाने?

गीदड़ के शागिर्दों की अब, फौज बड़ी चाहे जितनी हो,
जूंठे टुकड़ों पर पलने वाले, शेरों की ताकत क्या जाने?

ताज पहन कर करें गुलामी, ऐसे मुर्दों की  कमी नहीं,
चमचागीरी करने वाले, अपना फर्ज निभाना क्या जाने?

2 comments:

  1. आपकी पोस्ट कल 14/6/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें
    चर्चा - 902 :चर्चाकार-दिलबाग विर्क

    ReplyDelete
  2. जुगुनू जिनको अँधियारों ने, खुद ही पाला पोसा हो,
    चमक दिखा बुझ जाने वाले, उजली संगत क्या जाने?

    बहुत खूब...

    ReplyDelete

प्रशंसा नहीं आलोचना अपेक्षित है --

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