Saturday, May 12, 2012

आवागमन


कदम पड़े  ज्यों दुनिया में,
देखी   चहुंओर  दीवारें  हैं,
बचपन में मिट्टी की थीं वो,
पत्थर की  आज कतारें हैं।

No comments:

Post a Comment

प्रशंसा नहीं आलोचना अपेक्षित है --

Featured Post

मैं खता हूँ Main Khata Hun

मैं खता हूँ रात भर होता रहा हूँ   इस क्षितिज पर इक सुहागन बन धरा उतरी जो आँगन तोड़कर तारों से इस पर मैं दुआ बोता रहा हूँ ...