ये तो बस कुछ पल होते हैं, जब इतना वैचैन होते हैं, और वो साथ नही ये जान, हम तो बस मौन होते हैं। होंठ विवश समझ, चल पडती है लेखनी इन पन्नों पर, कोशिश खुशी बाँटने की, पर पन्ने बस दर्द बयाँ करते हैं॥
शुक्रवार के मंच पर, लाया प्रस्तुति खींच |चर्चा करने के लिए, आजा आँखे मीच ||स्वागत है-charchamanch.blogspot.com
Kishore Nigam:Bahut sundar rachna. bas thoda meter par aur dhyan deejiye
प्रशंसा नहीं आलोचना अपेक्षित है --
मैं खता हूँ रात भर होता रहा हूँ इस क्षितिज पर इक सुहागन बन धरा उतरी जो आँगन तोड़कर तारों से इस पर मैं दुआ बोता रहा हूँ ...
शुक्रवार के मंच पर, लाया प्रस्तुति खींच |
ReplyDeleteचर्चा करने के लिए, आजा आँखे मीच ||
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Kishore Nigam:
ReplyDeleteBahut sundar rachna. bas thoda meter par aur dhyan deejiye