अभी तक हकीकत बखानी है मैंने,
अब तक कही सच की कहानी है मैंने,
आज स्वप्न एक आँखों में ठहरा है,
थोड़ा सा मुश्किल, थोड़ा गहरा है,
लगता नहीं आसान होगी राह इसकी भी,
फिर भी इसको हकीकत बनानी है मैंने।
अभी तक हकीकत बखानी है मैंने,
अब तक कही सच की कहानी है मैंने,
आज एक स्वप्न बिखेरूँगा धरा पर मैं,
जितना कर सकूँगा इसको सच करूँगा मैं,
मैं देखता हूँ छोटा गाँव जगमगाता सा,
साफ सुथरी गलियाँ थोड़ा मुसकुराता सा।
बाकी का स्वप्न हाईकू के रूप में –
जन निर्धन,
हम दो हमारे दो,
सम जीवन।
नहीं चाहिए,
किसी को आरक्षण,
सम समाज,
खुश किसान,
साफ सुथरा गाँव,
मेरा भारत।
सद्भाव मर्म,
एक सफ़ेद रंग,
अनेक धर्म।
कैसा लगा स्वप्न? आप साथ देंगे हमारा इसे सच करने में?
ये मेरे सबसे पहले हाईकू हैं, त्रुटियों के क्षमा करिएगा परन्तु त्रुटियाँ जरूर बताइएगा।
सुन्दर है ख्वाब आपका
ReplyDeleteसद्भाव मर्म,
ReplyDeleteएक सफ़ेद रंग,
अनेक धर्म।
सबकी सुख शांति की कामना लिए सपना ....सुंदर लिखा है....