Thursday, February 2, 2012

रेत सी जिंदगी


Sand Bagha Beach Goa: Clicked by Neeraj




रेत सी है जिंदगी,
फिसलती जा रही है,
मीठी है पर कुल्फी,
पिघलती जा रही है।

कहने को तो कई साल,
चल बसे जिंदगी के,
पाने को हाथ खाली,
देने को हाथ खाली,
अब तो शर्मों हया भी,
गुजरती जा रही है।

डूबता है रोज सूरज फिर,
एक नए दिन के इंतजार में,
खोखला कर रहे हैं देश पूरा,
वो खादी के लिबास में।

क्या किया हमने भी आज तक,
कलम, पन्ने घिसने के सिवा,
किसे जगाया हमने आज तक,
थोड़ी वाह वाही पाने की सिवा।

5 comments:

  1. वाह वाह...
    रेत सी है जिंदगी,
    फिसलती जा रही है,
    मीठी है पर कुल्फी,
    पिघलती जा रही है।..

    nice lines..nice click..

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  2. jindagi sachme ret jaisi hoti hai har kshan har lamha dheere dheere fisalti rahti hai koi aahat bhi nahi hone deti.

    ReplyDelete
  3. sarthak rachna Dwivedi ji

    ReplyDelete
  4. खोखला कर रहे हैं देश पूरा,

    वो खादी के लिबास में।
    देश खोखला कर रहे पच्छिमी लिबास में

    ReplyDelete

प्रशंसा नहीं आलोचना अपेक्षित है --

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