मौत से पहले दिनेश ने पूछा था, ”टीम अन्ना का कोई क्यों नहीं आया?”
अब आप जानना चाहेंगे की कौन दिनेश?
हम बात कर रहे हैं अन्ना हजारे जी के सशक्त लोकपाल के समर्थन में आत्मदाह करने वाला दिनेश।
दिनेश यादव का शव जब बिहार में उसके पैतृक गांव पहुंचा तो हजारों की भीड़ ने उसका स्वागत किया और उसकी मौत को ‘बेकार नहीं जाने देने’ का प्रण किया। लेकिन टीम अन्ना की बेरुखी कइयों के मन में सवालिया निशान छोड़ गई। सवाल था कि क्या उसकी जान यूं ही चली गई या उसके ‘बलिदान’ को किसी ने कोई महत्व भी दिया?
गौरतलब है कि सशक्त लोकपाल पर अन्ना हजारे के समर्थन में पिछले सप्ताह आत्मदाह करने वाले दिनेश यादव की सोमवार को मौत हो गई थी। पुलिस के मुताबिक यादव ने सुबह लोक नायक अस्पताल में दम तोड़ दिया। यादव के परिवारजनों को उसका शव सौंप दिया गया था जो बिहार से दिल्ली पहुंचे थे।
पुलिस के मुताबिक यादव के परिवार वाले उसके अंतिम क्रिया के लिए पटना रवाना हो चुके हैं । उधर, कुछ मीडिया रिपोर्ट की मानें तो 32 वर्षीय यादव की मौत पिछले सप्ताह ही हो चुकी थी। हालांकि पुलिस ने इन रिपोर्ट से इनकार किया है। गौरतलब है कि 23 अगस्त को दिनेश ने राजघाट के पास अन्ना के समर्थन में नारे लगाते हुए खुद पर पेट्रोल छिड़क आग लगा ली थी। 70-80 प्रतिशत जल चुके दिनेश को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बताया जाता है कि कुछ डॉक्टरों और प्रत्यक्षदर्शी अस्पताल कर्मियों से दिनेश ने आखिरी दिन तक पूछा था कि क्या उससे मिलने अन्ना की टीम से कोई आया था?
दिनेश यादव का शव जब पटना के निकट दुल्हन बाजार स्थित उनके गांव सर्फुदीनपुर पहुंचा तो पूरा गांव उमड़ पड़ा था। सब ने शपथ ली है.. इस मौत को जाया नहीं जाने देंगे। एक पत्रकार ने फेसबुक पर लिखा है, ”मुझे लगता है टीम अन्ना को इस नौजवान के परिवार की पूरी मदद करनी चाहिए। उनके घर जाकर उनके परिवारवालों से दुख-दर्द को बांटना चाहिए।”
दिनेश के परिवार के लोग बेहद गरीब और बीपीएल कार्ड धारक हैं। कई पत्रकारों का भी कहना है कि सहयोग के लिए अगर कोई फोरम बनेगा तो वे भी शामिल होने को तैयार हैं। दिनेश के तीन बच्चे हैं। उसकी पत्नी का रो रो कर बुरा हाल है और वह कई बार बेहोश हो चुकी है। उसके बाद परिवार में कमाने वाला कोई नहीं है।
उधर अन्ना हज़ारे अनशन टूटने के तीसरे दिन भी गुड़गांव के फाइव स्टार अस्पताल मेदांता सिटी में स्वास्थ लाभ लेते रहे।
n आभार चौधरी यदुवीर सिंह जी
एक ओर हैं बाबा रामदेव, जिन्होंने अन्ना टीम के द्वारा किये गए अपमान के बाद भी देश हित में निजी स्वार्थ और सम्मान ताक पर रख, अन्ना जी का समर्थन किया। बाबा रामदेव खुद रामलीला मैदान में हुए लाठीचार्ज से कोमा में पहुंची बहन राजबाला का हाल चाल जानने अस्पताल गए और उनके पूरी तरह उपचार की व्यवस्था की।
अब आप को सोचना है, की अन्ना की तथाकथित जीत से कितना जीते हैं आप और कितना आपको बेवकूफ बनाया गया है?
Share करिए ताकि दिनेश जी का वलिदान व्यर्थ न जाये.