Thursday, December 29, 2011

एक इबारत


Clicked by Neeraj Dwivedi

अब बंद करो उकेरना अपने भाव,
बंजर रेत के जाहिल किनारों पर,
लिखो किसी के दिल में,
जहाँ लिखी हुयी इबारत, कभी फ़ना नहीं होती.

2 comments:

प्रशंसा नहीं आलोचना अपेक्षित है --

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