Thursday, November 10, 2011

मेरी आवाज Meri Awaj


मैं खोना नहीं चाहता अपनी आवाज,
एहसानों के नीचे क्यूँ दबाते हो मुझे?

सिद्दत से बेहद चाहा है हमने तुमको,
खुद ही कमजोर क्यूँ बनाते हो मुझे?

हमें पता है तुमने भुला दिया है हमें,
अब खुद याद आ क्यूँ सताते हो मुझे?

वक्त के थपेड़ों ने बहुत सितम ढाएँ है,
हालचाल पूछ झूठे मरहम क्यूँ लगाते हो मुझे?

अकेले चल सकता हूँ पता है मुझे, अब
दो कदम की लाठी बन बूढ़ा क्यूँ बनाते हो मुझे?

मैं खोना नहीं चाहता अपनी आवाज,
एहसानों के नीचे क्यूँ दबाते हो मुझे?

5 comments:

  1. अति सुंदर बधाई स्वीकार कीजीये

    वक्त का हंसी सितम

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  2. मैं खोना नहीं चाहता अपनी आवाज,
    एहसानों के नीचे क्यूँ दबाते हो मुझे?

    ...बहुत सुन्दर...

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  3. बहुत सुन्दर नीरज...
    पूँछ झूंठे -इसे ठीक कर लीजिए.. "पूछ झूठे"
    अन्यथा न लें
    सस्नेह
    अनु

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  4. Expression जी मैं अन्यथा कभी नहीं लूँगा. बहुत आभार आपका.

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प्रशंसा नहीं आलोचना अपेक्षित है --

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