Sunday, November 6, 2011

सूरज का एकाकीपन



एकाकी मानव का अस्तित्व प्रदर्शित,
ये सूरज का एकाकीपन है,
अभी मद्धिम है आभा इसकी,
या प्रखर तेज का सीधापन है?

सतत प्रगति का है ध्वजवाहक,
या है समय का अनुसंधान,
ये सूरज का आवारापन है,
या मानव जीवन का बंजारापन?

ये जीवन के अरुण क्षितिज पर,
सतत निखरता बालकपन है,
उड़ उड़ कलरव करते पंछी,
और बिहंसती प्रकृति साथ है,

खेल खेल में बढ़ते बालक,
की भांति सूर्य का चढ़ जाना है,
ये विकसित होता मानव मन है,
या सुन्दर होता अम्बर तन है?

10 comments:

प्रशंसा नहीं आलोचना अपेक्षित है --

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