ये तो बस कुछ पल होते हैं, जब इतना वैचैन होते हैं,
और वो साथ नही ये जान, हम तो बस मौन होते हैं।
होंठ विवश समझ, चल पडती है लेखनी इन पन्नों पर,
कोशिश खुशी बाँटने की, पर पन्ने बस दर्द बयाँ करते हैं॥
Saturday, July 30, 2011
ख़ुशी और दर्द
ये दोस्त भी कभी कभी, अजीब सी बातें किया करते हैं,
लिखो तो ख़ुशी पर लिखा करो, अक्सर कहा करते हैं ,
उन्हें पता है की कोशिश तो, हम भी यही किया करते हैं,
पर क्या करें हम भी, जो ये पन्ने बस दर्द बयां करते हैं॥
सुंदर पंक्तिया...
ReplyDeleteआभार सुषमा जी
ReplyDeletevery nice...
ReplyDeletebahut sundar panktiyan
ReplyDeleteBahut Abhar Sagar ji aur Somali ji.
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