ये तो बस कुछ पल होते हैं, जब इतना वैचैन होते हैं,
और वो साथ नही ये जान, हम तो बस मौन होते हैं।
होंठ विवश समझ, चल पडती है लेखनी इन पन्नों पर,
कोशिश खुशी बाँटने की, पर पन्ने बस दर्द बयाँ करते हैं॥
Monday, July 4, 2011
ये तो बस कुछ पल होते हैं
ये तो बस कुछ पल होते हैं, जब इतना वैचैन होते हैं,
और वो साथ नही ये जान, हम तो बस मौन होते हैं।
होंठ विवश समझ, चल पडती है लेखनी इन पन्नों पर,
कोशिश खुशी बाँटने की, पर पन्ने बस दर्द बयाँ करते हैं॥
होंठ विवश समझ, चल पडती है लेखनी इन पन्नों पर, कोशिश खुशी बाँटने की, पर पन्ने बस दर्द बयाँ करते हैं॥ bahut khoob likha hai neeraj bhai :) ______________________________________________ किसी और की हो नहीं पाएगी वो ||
होंठ विवश समझ, चल पडती है लेखनी इन पन्नों पर,
ReplyDeleteकोशिश खुशी बाँटने की, पर पन्ने बस दर्द बयाँ करते हैं॥
bahut khoob likha hai neeraj bhai :)
______________________________________________
किसी और की हो नहीं पाएगी वो ||
धन्यबाद मनीष भाई
ReplyDeleteआपका लिखने का अंदाज़ बड़ा सुरीला |
ReplyDeleteआपने इस लिखने में अपने दिल को उडेला है |
Abhar Pappu ji ..
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