Friday, June 3, 2011

अमेरिका और पाकिस्तान

Atal Bihari Bajpayee

एक नहीं दो नहीं करो बीसों समझौते, पर स्वतन्त्र भारत का मस्तक नहीं झुकेगा ।
अगणित बलिदानो से अर्जित यह स्वतन्त्रता, अस्रु स्वेद शोणित से सिंचित यह स्वतन्त्रता
त्याग तेज तपबल से रक्षित यह स्वतन्त्रता, दु:खी मनुजता के हित अर्पित यह स्वतन्त्रता
इसे मिटाने की साजिश करने वालों से कह दो, चिनगारी का खेल बुरा होता है ।
औरों के घर आग लगाने का जो सपना, वो अपने ही घर में सदा खरा होता है
अपने ही हाथों तुम अपनी कब्र ना खोदो, अपने पैरों आप कुल्हाडी नहीं चलाओ।
ओ नादान पडोसी अपनी आँखे खोलो, आजादी अनमोल ना इसका मोल लगाओ।
पर तुम क्या जानो आजादी क्या होती है? तुम्हे मुफ़्त में मिली न कीमत गयी चुकाई ।
अंग्रेजों के बल पर दो टुकडे पाये हैं, माँ को खंणित करते तुमको लाज ना आई ?
अमरीकी शस्त्रों से अपनी आजादी को दुनिया में कायम रख लोगे, यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लेकर आने वाली बरबादी से तुम बच लोगे यह मत समझो ।
धमकी, जिहाद के नारों से, हथियारों से कश्मीर कभी हथिया लोगे यह मत समझो ।
हमलो से, अत्याचारों से, संघारों से भारत का शीश झुका लोगे यह मत समझो ।
जब तक गंगा मे धार, सिंधु मे ज्वार, अग्नि में जलन, सूर्य में तपन शेष,
स्वातन्त्र्य समर की वेदी पर अर्पित होंगे अगणित जीवन यौवन अशेष ।
अमरीका क्या संसार भले ही हो विरुद्ध, काश्मीर पर भारत का सर नही झुकेगा
एक नहीं दो नहीं करो बीसों समझौते, पर स्वतन्त्र भारत का निश्चयहीं रुकेगा

-- अटल बिहारी बाजपेई

   

4 comments:

  1. ultimate likha he neeraj....

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  2. Dhanybaad, par yeh Atal Vihari Bajpai ji ki rachna hai.

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  3. aapka bahut bahut shukriya ye batane ke liye ki atal zi mein deshbhakti bhi thi , bhale hi wo sirf kagjo mai dabkar reh gayi :|

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  4. अटल एक व्यक्ति ही नहीं व्यक्तित्व है, ये दीनदयाल उपाध्याय के पदचिन्हों पर चलने वाला व्यक्ति है, पर इस देश ने इसका समुचित उपयोग नहीं किया. राजनीति की गन्दगी में ये वो स्वच्छता नहीं ला पाया जो ये ला सकता था.

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