ये तो बस कुछ पल होते हैं, जब इतना वैचैन होते हैं, और वो साथ नही ये जान, हम तो बस मौन होते हैं। होंठ विवश समझ, चल पडती है लेखनी इन पन्नों पर, कोशिश खुशी बाँटने की, पर पन्ने बस दर्द बयाँ करते हैं॥
Bahut sunder...... Likhte rahen...Shubhkamnayen
बहुत बढ़िया...
तुम इस तरह जो मुस्कुरा रहे हो, क्या ग़म है जिसको छुपा रहे हो?
बहुत बहुत धन्यबाद मोनिका जी, ये मेरे जीवन की पहली काव्य रचना थी, अच्छा लगा आप सबसे उत्साह पाकर
धन्यबाद शाह नवाज जी, इसी तरह उत्साहित करते रहिएगा
साधुबाद सुनील जी
very nice...
Thank You .. Bhaiyaa
waah bahut khubsurat....
प्रशंसा नहीं आलोचना अपेक्षित है --
मैं खता हूँ रात भर होता रहा हूँ इस क्षितिज पर इक सुहागन बन धरा उतरी जो आँगन तोड़कर तारों से इस पर मैं दुआ बोता रहा हूँ ...
Bahut sunder...... Likhte rahen...Shubhkamnayen
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...
ReplyDeleteतुम इस तरह जो मुस्कुरा रहे हो, क्या ग़म है जिसको छुपा रहे हो?
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यबाद मोनिका जी, ये मेरे जीवन की पहली काव्य रचना थी, अच्छा लगा आप सबसे उत्साह पाकर
ReplyDeleteधन्यबाद शाह नवाज जी, इसी तरह उत्साहित करते रहिएगा
ReplyDeleteसाधुबाद सुनील जी
ReplyDeletevery nice...
ReplyDeleteThank You .. Bhaiyaa
ReplyDeletewaah bahut khubsurat....
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