Tuesday, June 7, 2011

आदत सी हो गयी है


Neeraj Dwivedi
अब आदत सी हो गयी है, यूँ ही मुस्कुराने की,
यूँ ही लिखने की, लिखते चले जाने की,
सारी राहें बन्द कर दीं, उनके याद आने की,
यूँ ही जीने की, चलते चले जाने की ।

8 comments:

  1. बहुत बढ़िया...

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  2. तुम इस तरह जो मुस्कुरा रहे हो, क्या ग़म है जिसको छुपा रहे हो?

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  3. बहुत बहुत धन्यबाद मोनिका जी, ये मेरे जीवन की पहली काव्य रचना थी, अच्छा लगा आप सबसे उत्साह पाकर

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  4. धन्यबाद शाह नवाज जी, इसी तरह उत्साहित करते रहिएगा

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प्रशंसा नहीं आलोचना अपेक्षित है --

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